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Amrit Dhara – अमृतधारा सुधा - 10ml
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अमृत धारा पूर्णत: प्राकृतिक औषधि है। यह पीढ़ियों से चली आ रही दवा है जो लगभग हर घर में हुआ करती थी।
यात्रा में अत्यंत लाभदायक पेट रोग, बुखार आदि कई विकारो में लाभदायक एवं यह अनेकों बीमारियों में लाभकारी है।
प्रयोग विधि :
सामान्यत:अमृतधारा की दो या तीन बूँदें एक कप पानी में डालकर प्रयोग कर सकते हैं।
अमृतधारा के लाभ :
अमृतधारा अनेकों बीमारियों में दी जा सकती है जैसे:
सिर दर्द – अमृतधाराकी दो बूंद माथे और कान के आस – पास मसलने से सिरदर्द में लाभ होता है।
बदहजमी – थोड़े से पानी में तीन से चार बूंद अमृतधारा की डालकर पीने से बदहजमी , पेटदर्द , दस्त , उलटी ठीक हो जाती है ।
जुखाम – इसे सूंघने से सांस खुलकर आएगी और जुखाम ठीक हो जाएगा ।
दांत दर्द: अमृतधारा रुई के फाहे में लें और दाँत पर रख देने से दाँत दर्द आराम आता है.
हिचकी- 2 बून्दें सीधे जीभ पर लें और आधे घण्टे तक कुछ भी न खाएँ तो हिचकी रुक जाएगी।
हैजा – एक चम्मच प्याज का रस लें और उसमें दो बूंद अमृतधारा डालकर पी लें तो फायदा होगा।
खाँसी दमा या क्षयरोग: 4 बूँदे गुनगुने पानी में सुबह शाम पीने से समाप्त हो जाएगा।
हृदय रोग – आंवले के मुरब्बे में 2 से 3 बूँदें डालकर सेवन करने से लाभ होता है।
मन्दाग्नि, अपचन – भोजन के बाद 3 बूंदें पानी में मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
खुजली-10 ग्राम नीम तेल में 4से 5 बूँदें अमृतधारा मिलाकर लगाने से खुजली समाप्त होती है।
मधुमक्खी /ततैया के काटने पर : काटे हुए स्थान पर अमृतधारा रगड़ने से दर्द में आराम मिलती है।
पेट की एठन, भारीपन, अफारा, खट्टी डकार : अमृतधारा 3 से 4 बूँदें पानी में डालकर लें. दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है.
बच्चों के लिए मात्रा : :छोटे बच्चों को पताशे में एक बूँद डाल कर दे सकते हैं या पानी में मिलाकर देने के तुरंत बाद खाण्ड/मिश्री खिला दें.