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Book: Swadeshi Chikitsa by BARC Retd. Scientist R.N. Varma / स्वदेशी चिकित्सा – लेखक श्री आर. एन. वर्मा (अभूतपूर्व वैज्ञानक – भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र)
Per piece
श्री आर. एन. वर्मा जी का जन्म 15 दिसंबर 1942 को कर्नाटक राज्य के बेलगाम जिले हुआ है।
1965 में पुणे विश्वविद्यालय से अपनी पढाई पूरी करने के बाद भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), मुंबई में काम करना शुरू किया।
1965 से लेकर 2002 के दौरान, अपने आणविक शोध कार्य के अलावा, उन्होंने लगातार 18 साल तक गर्भाशय का कैंसर, हृदय की धमनियों में होने वाले अवरोध से बचाव और आखों के कैंसर, पर काफी गंभीर शोधकार्य किया है।
राजीव भाई के जाने के एक वर्ष पहले ही वर्मा जीने राजीव भाई द्वारा स्वास्थ पर दिये गये चेन्नई व्याख्यान सुने और राजीव भाई से फोन पर स्वदेशी आंदोलन में भाग लेकर उसे आगे बढाने की इच्छा जताई।
स्वास्थ के विषय को लेकर राजीव भाई के साथ लगातार संपर्क में रहे। राजीव भाई से मिलने की उत्कट इच्छा होने के बाद भी वे राजीव भाई से ना मिल सके।
वर्मा जी ने राजीव भाई से उनके अंतिम दिनों से कुछ दिन पहले यह वचन दिया था कि वह उनके विचारो का प्रचार करेंगे एवं तभी से वह राजीव भाई के विचारों को आगे बढाते हुये स्वदेशी चिकित्सा पर व्याख्यान देना शुरु किया उस कार्य में अपने वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के कारण बहुत सूक्ष्मता से राजीव भाई की स्वास्थ्य सम्बन्धी विषय को परिभाषित करते आ रहे है और
अब स्वदेशी चिकित्सा प्रकल्प और शिविरों का संचालन वर्मा जी के सानिध्य और निर्देशन में गोधूली परिवार के साथ चल रहा है ।
वर्मा जीने स्वदेशी चिकित्सा के विषय पर काफी शोधकार्य किया है और प्रभूत सामग्री एकत्र की है जो समय-समय पर उनके द्वारा प्रकाशित की जा रही है।
गोधूली परिवार के साथ वर्मा जी ने अपने ज्ञान एवं शोध आधार पर असाध्य और गंभीर बिमारीयों को सरल और आसान पद्धति के आधार पर ठीक करने का अभियान चलने के निश्चय किया है।
उनके इसी प्रयास में उन्होंने अपने जीवन का बहुत महत्वपूर्ण ज्ञान इस पुस्तक में परोस दिया है जिसका महत्त्व सभी के जीवन के लिए है।
आपसे निवेदन है की इस पुस्तक के ज्ञान को सभी तक प्रेषित करें और अपने जीवन में भी अपनाएं एवं एक स्वस्थ समाज की नींव डाले।
यदि पुस्तक में कोई प्रिंटिंग त्रुटि हुई हो तो हमें अवश्य सूचित करें जिस से उसमें सुधार किया जा सके।
इस पुस्तक से प्राप्त सहयोग राशि का एक भाग वर्मा जी के अगली पुस्तक के छपवाने में प्रयोग होगा अतः उदार मन से इसे ख़रीदे एवं सहयोग करें।
भेंट एवं उपहार में भी आप इस पुस्तक को आगे दे सकते है।