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Mantroaushadhi Garbh Swarnprashanam – मंत्रौषधि गर्भ स्वर्णप्राशनम – गर्भावस्था हेतु विशेष – Specially for Pregnant Ladies - 30ml
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मंत्रौषधि गर्भ स्वर्णप्राशनम
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शंखपुष्पी
पिप्पली
जटामंसी
वज
ब्राह्मी
पंचगव्य घृत
शहद
स्वर्णभस्म और फल घृत युक्त
गर्भ का रक्षण, पोषण एवं विकास करता है। गर्भिणी को सबल एवं स्वस्थ बनाता है
मात्रा : 7 से 10 बूँद प्रतिदिन सुबह खाली पेट सेवन करें
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गर्भावस्था में सुवर्ण की विशेष आवश्यक्ता होती है क्योंकि गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क के सम्पूर्ण विकास के लिए सुवर्ण बहुत आवश्यक है ।
गर्भस्थ शिशु का शरीर अविरत विकसित होता रहता है तथा पाँचवें, छठ्ठेऔर सातवें महीने में मन-बुद्धि-ओज का विकास होता है । उस समय गर्भ सुवर्णप्राशनम् विशेष रुप से प्रभावी होता है । यह सुवर्णप्राशन फल घृतम् द्वारा process करके बनाया जाता है ।
सम्पूर्ण भारत में केवल गुरुजी ने अपनी विशेष formula के आधार पर बनाकर यह अनेक गर्भवती महिलाओं को दिया गया है और इससे गर्भ के विकास में अनेक लाभ पाये गये हैं। जैसे शिशु की बुद्धि एवं मन का विकास, मस्तिष्क का विकास, कफ-वात-पित्त का संतुलन होना तथा बच्चों की प्रकृति स्वस्थ करने में बहुत लाभदायक सिद्ध होता है ।