हम गारंटी देते है ।कि आप प्रोडक्ट की क्वालिटी और गुणवत्ता से संतुष्ट होगे ।सम्पूर्ण भारतवर्ष में अदरक की खेती की जाती है। भूमि के अन्दर उगने वाला प्रकन्द आर्द्र अवस्था में अदरक व सूखी अवस्था में सोंठ कहलाता है। प्राचीन आर्ष ग्रन्थों में इसका उल्लेख कई स्थानों पर पाया जाता है। इतना ही नहीं प्राय प्रत्येक औषधि चूर्ण, क्वाथ, गुटिका तथा अवलेह आदि में भी इसका प्रयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है। भावप्रकाश निघण्टु में वर्णन है कि भोजन के पूर्व अदरक के टुकड़ों पर सेंधा नमक डालकर खाने से सदैव पथ्यकर होता है, इससे अरुचि मिटती है। जिह्वा तथा कण्ठ का शोधन होता है एवं क्षुधा की वृद्धि होती है। कहा जाता है कि भोजनाग्रे सदा पथ्यं लवणार्द्रक भक्षणम्। यह लगभग 90-120 सेमी ऊँचा, कोमल, बहुवर्षायु, प्रकन्दयुक्त शाक होता है। प्रतिवर्ष प्रकन्द से नवीन शाखाओं का उद्गम होता है। इसका प्रकन्द श्वेताभ या पीताभ वर्ण का, बाह्य आवरण भूरे वर्ण का, अनुप्रस्थ धारियों से युक्त, अनेक शृंगाकार या गोलाकार रचनाओं से युक्त, एक या अनेक भागों में विभाजित तथा सुगन्धित होता है।