सूखा सिंघाड़ा DRY CHESTNUT

भारत में सिंघाड़े का अमूमन सावन मास,श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एवं नवरात्रों के समय में ही इस्तेमाल किया जाता है। नवरात्रों में लोग सिंघाड़े के आटे का हलवा, पूरी आदि जैसे पकवानों को खाना पसंद करते हैं। व्रत के लिए भी यह आटा बेहद कारगर माना जाता है।व्रत के दौरान शरीर में कमज़ोरी ना महसूस हो इसलिए सिंघाड़े के आटे से बनी पूरिया, रोटी, हलवा या कचौड़ियां खाने से बहुत एनर्जी मिलती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह एक मल्टी न्यूट्रियेंट आटा है। इसका सेवन यदि नियमित रूप से करने पर हमारी शरीर में बहुत से पोषक तत्व अवशोषित होते हैं। इस आटे का प्रयोग अधिकांश शुगर के मरीज ही करते हैं। जो उनकी सेहत के लिए अच्छा होने के साथ साथ निरोगियों के लिए भी बहुत मददगार माना गया है। सिंघाड़ा एक जलीय पौधा है, इसलिए इसकी तासीर ठंडी होती है। यह वात, पित्त और कफ जैसी समस्याओं को भी नियंत्रित करने के साथ उनका संतुलन बनाए रखता है। सिंघाड़े का आटा त्वचा, बालों और पेट से जुड़ी कई समस्याओं से निजात दिलाता है। सिंघाड़े के आटे में सोडियम की मात्रा कम और फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसलिए यह वज़न घटाने में बहुत मददगार होता है। सिंघाड़े में कैल्शियम होता है जो हड्डियों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी है। इसके नियमित सेवन से आप हड्डियों के तमाम विकारों से दूर रहेंगे। साथ ही साथ सिंघाड़े के आटे में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिससे खून की कमी नहीं होती और अनेमिया जौंडिस जैसे रोगों का खतरा काम हो जाता है।  सिंघाड़े के आटे में भी एंटीऑक्सिडेंट और मिनरल्स की मात्रा पाई जाती है. सिंघाड़े का आटा विटामिन बी 6, पोटेशियम कॉपर, राइबोफ्लेविन, आयोडीन और मैंगनीज से भरा होता है. आयोडीन और मैंगनीज थायरॉयड समस्याओं में भी मदद कर सकते हैं. सिंघाड़ा में फाइबर होता है ऐसे में इसके पाचन में लंबा समय लगता है और तब तक आपका पेट भरा रहता है.per 500 gm

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