Fafund Bhakshak (Taral) | फफूंद भक्षक (तरल) 500ml

FAFUND Bhakshak is a 15 years old research product of TCBT processed with Cow slurry containing Natural Bio Agents for fungus Control.

COMPOSITION

Cow Slurry with Natural Bio Agents 15% Carrier: 85%

DIRECTIONS FOR USE

  • To be used under supervision of Certified TCBT Expert only.
  • Store in a cool and dry place ideally between temp. 25°C to 35°C.
  • During Application for Best results temp should be 28° C to 30° C and the same should be done in evening

BENEFITS

  • Control Bacterial Blight, Sheath Blight and blast in
    paddy and wheat.
  • Control Soil Burn, Air Born and send born fungal and bacterial diseases.
  • Reduce copper deficiency.
  • Induce plant systemic resistance.
  • Safe non-toxic to humans, plants, animals and environments.

METHOD OF APPLICATION

  • Foliar Spray- Mix 250ml-500ml Fafund Bhakshak per
    acre in 100 litre of water and apply in the field through Foliar Spray.
  • Seed Treatment: Use 10 ml of Fafund Bhakshak for coating of 1kg of seeds, dry in shade before sowing.
  • Seeding Treatment: Mix 500ml of Fafund Bhakshak with sufficient quantity of water. The seedings are dipped in this solution for 30 minutes prior to planting.

TARGETED PESTS

Bacterial Blight, Sheath Blight, Blast, Root rot, Fruit rot, Brown rot, Charcoal rot, Majek Virus and Leaf Spot, Powdey and Downy etc.

TARGETED CROPS

Wheat Maize, Pulses, Oil Seed, Cottan, Paddy, Vegetables, Fruits and flowers.

Input Approved by Rajasthan Organic Certification Agency, Janpath, Jaipur (Rajasthan)

Disclaimer: We are not liable to any losses arising out of misuse of product and non adherence to the usage guidelines as directed by our Certified TCBT Expert

फफूंद भक्षक (तरल) एक सर्वगुनसम्पन्न बायोफफूँद नाशक उत्पाद है
जिसमे मित्र फंगस और मित्र बैक्टीरिया का परिवार एक साथ सहजीवी वातावरण में रहता है जो हर प्रकार की फसल में किसी भी प्रकार की फफूँद जनक रोग जो मृदा और फसल पर हो उसको पूर्णतः समाप्त करके फसल को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है जिससे पौधे जल्द स्वस्थ होकर पोषण ग्रहण करे और हरा भरा रहे अपने तरीके का यह पहला उत्पाद है जिसमे ट्राइकोडर्मा की दोनों प्रजातीया है जो कम और अधिक तापमान पर भी सक्रिय रहती है , सुडोमोंनास फ्लोरेसेंस और बेसिलस सब्तिलस एक साथ रहकर सक्रिय रहकर सुचारू रूप से 
काम करती है।

1. फफूंद भक्षक सब तरह फसलो पर होने वाली  हानिकारक फंगस को मृदा और फसल से बचाता है।

2. मृदा उपचार भी इससे किया जा सकता है जिससे पौधा हरा भरा और स्वस्थ रहे ताकि अच्छी गुणवत्ता का बीज ग्रहण हो सके।

3. बीज उपचार होने से सभी प्रकार के बीज जनित रोग समाप्त होने है। फसल पर बाद में आने वाली बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है जिससे किसानों का खर्चा बच सकता है।

4. फफूंद भक्षक प्रिवेंटिव तरीके से इस्तेमाल करने पर बीमारियां आने से पहले ही फसल का हानिकारक फंगस से बचाव करता है, नैनो खनिज और सुरपाल के साथ देने पर फसल की सुरक्षा और उत्पादन दोनो में बहुत वृद्धि करता है। 500 एम.एल.  प्रति एकड़ 150 लीटर से 200 लीटर पानी। प्रति लीटर दर 5 एम.एल. प्रति लीटर है।

5. बीमारियां आने पर इसको फ़रमेंटेड करकर इस्तेमाल करने से क्यूरेटिव तरीके से 100% फंगस जनित बीमारियां समाप्त  और पौधे स्वस्थ होते है।
200 लीटर पानी मे 500 एम.एल. फफूंद भक्षक और 2 किलो  गुड़ से डालकर सुबह ,शाम लकड़ी के डंडे से हिलाकर 24 से 48 घंटे में फेरमेंटेड होकर अपनी कॉलोनियों को तेजी से बढ़ाता है। जिससे बेहद सशक्त उत्पाद बनता है जो किसी भी प्रकार की फंगस 24 घंटे में ही ठीक करना चालू कर देता है।
इसको फोलिओर स्प्रे ,ड्रिप ,बीज उपचार, सजीव जीवाणु कम्पोस्ट खाद में और चलते हुए पानी के साथ फसलो में दिया जा सकता है। जड़ो के पास ड्रिनचिंग करने से सब्जियां और बागवानी फसल में बहुत बेहतर परिणाम मिलते है। कम से कम 150 लीटर फेरमेंटेड फफूंद भक्षक जरूर सप्रे करना ही चाहिए।

6. फफूंद भक्षक को बार बार मल्टीप्लाई नही करना चाहिय ।अच्छे परिणाम हेतु केवल एक बार ही मल्टीप्लाई  करे।

 7. सर्वश्रेष्ठ परिणाम लेने के लिये नैनो खनिज,सुरपाल के साथ इस्तेमाल करे। जिससे पोषण और बीमारी पूर्णतः स्वस्थ हो।

8. किसान फफूंद भक्षक को भक्षक m+, भक्षक v+ सबको मिलाकर भी फोलियर स्प्रे किया जा सकता है। किट और फंगस प्रॉब्लम आने की स्थिति में।

*प्राकृतिक कृषि में सर्वश्रेष्ठ रिजल्ट हेतु 1 एकड़ में फोलिओर स्प्रे 150 लीटर से 200 लीटर जाना हैं। 

 

भूमि उपचार विधि: 200 लीटर पानी मे 500 ml फफूंद भक्षक को 2 kg गुड़ के साथ 3-4 दिन रखने के बाद 1 एकड़ खेत मे सिचाई के साथ छोड़ दीजिए 

 बीज उपचार: बीज बोनी के पूर्व 3 ml फफूंद भक्षक से प्रति किलो बीज से उपचारित करे .

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