CASHEW NUT TREE(GRAFTED)-FRUIT PLANTS & TREE

काजू का पेड़ एक उष्णकटिबंधीय सदाबहार पेड़ है जो काजू और काजू का उत्पादन करता है। इसके सदाबहार पत्ते अंडाकार, चमड़े के और गहरे हरे रंग के होते हैं। काजू सेब विटामिन सी में उच्च, ताज़ा, बहुत रसदार है, लेकिन थोड़ा अम्लीय है।काजू सूखे मेवे के लिए बहुत ही लोकप्रिय माना जाता है. इसका इस्तेमाल खाने में किया जाता है साथ ही इसका उपयोग मिठाई बनाने में और उसे सजाने में किया जाता है. काजू का इस्तेमाल शराब बनाने के लिए भी किया जाता है. यही कारण है कि बड़े पैमाने पर काजू की खेती की जाती है. काजू एक्सपोर्ट का एक बड़ा बिजनेस है. इसके पेड़ लगाकर किसान अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. काजू पेड़ में होता है. इसके पेड़ों की लंबाई 14 से 15 मीटर तक होती है. फल देने के लिए इसके पेड़ तीन साल में तैयार हो जाते हैं. काजू के अलावा इसके छिलको को भी प्रयोग में लाया जाता है. इसके छिलकों से पेंट और लुब्रिकेंट्स को तैयार किया जाता है इसलिए इसकी खेती फायदेमंद मानी जाती है. कैसे होती है काजू की खेती ऊष्णकटिबंधीय स्थानों पर इसकी अच्छी पैदावार होती है. जिन जगहों पर तापमान सामान्य रहता है वहां पर इसकी खेती करना अच्छा माना जाता है. इसके लिए समुद्रीय तलीय लाल और लेटराइट मिट्टी को इसकी फसल के लिए अच्छा माना जाता है. इसलिए दक्षिण भारत में बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाती है. इसकी खेती समुद्र तल से 750 मीटर की ऊंचाई पर करना चाहिए. अच्छी पैदावार के लिए इसे नमी और सर्दी बचाना होता है. क्योकि नमी और सर्दी की वजह से इसकी पैदावार प्रभावित होती है. अगर अच्छी तरह से देखभाल की जाए तो काजू की खेती कई तरह मिट्टियों में की जा सकती है. काजू के लिए उपयुक्त मौसम काजू की खेती में ऊष्णकटिबंधिय जलवायु को सबसे अच्छा माना जाता है. इसके अलावा गरम और आद्र जलवायु जैसी जगहों पर इसकी पैदावार काफी अच्छी होती है. काजू के पौधो को अच्छे से विकसित होने के लिए 600-700 मिमी बारिश की जरुरत होती है. सामान्य से अधिक सर्दी या गर्मी होने पर इसकी पैदावार प्रभावित हो सकती है. सर्दियों में पड़ने वाला पाला भी इसकी फसल को नुकसान पहुंचाता है. काजू की खेती के लिए ऐसे करें तैयारी काजू लगाने के लिए खेत की अच्छी तरह से दो बार गहरी और तिरछी जुताई करनी चाहिए. इसे लगाने के लिए दो पौधों के बीच  की दूरी चार मीटर होनी चाहिए. इस तरह से एक हेक्टेयर में 500 पौधे लगा सकते हैं. लगाने से पहले गड्ढे में गोबर की खाद को उचित मात्रा में मिट्टी से मिला कर भरना होता है. इसके बाद अच्छे से गड्ढों को भरकर इसकी सिंचाई करनी चाहिए. काजू के पौधों को तैयार करने के लिए इसके बीज को सीधे खेत में लगाया जा सकता है. काजू के पौधों को लगाने के लिए एक महीने पहले ही गड्ढा तैयार करना चाहिए. इसके बाद अच्छे से गड्ढे की निकाई गुड़ाई करके उसमें छोटा गड्ढा करके काजू के पौधे लगा सकते हैं. बारिश के मौसम में इसके पौधे लगाने से इन्हें सिंचाई की जरुरत नहीं होती है और जल्दी ही पौधे तैयारहो जाते हैं. काजू से होने वाली कमाई काजू के पेड़ एक बार लग जाने पर कई वर्षों तक पैदावार देते हैं. पौधों के लगाने के समय खर्च आता है. एक हेक्टेयर में काजू के 500 पेड़ लगते हैं. एक पेड़ से 20 किलो काजू मिलता है. इससे एक हेक्टेयर में लगभग 10 टन काजू की पैदावार होती है. इसके बाद इसकी प्रोसेसिंग में खर्च आता है. फिर बाजार में काजू 700-800 रुपये प्रति किलो ग्राम बिकता है.

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