महोगनी एक औसधिय पोधा है ये मूल रूप से अमेरिका कि प्रजाति है इसकी अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट में बहुत ज्यादा मांग को देखते हुए अमेरिका ने 1990 में इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी जिसके बाद भारत, बांग्लादेश, नेपाल, मयाननमर जैसे देशों में इसकी बागवानी की जाने लगी महोगनी के पोधे की फल, पत्ती, लकड़ी सभी की देश और दुनिया में बहुत डिमांड है महोगनी की पत्तियों का इस्तेमाल केंसर, अस्थमा, मधुमेह, सर्दी जुखाम आदि रोगों की दवा बनाने में किया जाता है इसके बीजों का इस्तेमाल भी कई प्रकार के रोगों में किया जाता हैं इसके पोधे 5 साल में एक बार बीज देते हैं एक पोधे से 5 किलो बीज मिलते है इसके बीज 1000 रुपए प्रति किलो तक बिक जाते है इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल बंदूक के बट, पानी के जहाज, भूकंप रोधी मकान, वाध यंत्र, फर्नीचर आदि में किया जाता हैं इसकी लकड़ी की कीमत 2200 रुपए प्रति घन फुट हैं इसके पूर्ण विकसित पॊधे की लंबाई 70 से 90 फीट तक होती है प्रति 1000 पौधे, जिससे 10 से 12 साल में एक करोड़ तक की कमाई की जा सकती हैं इसके पोधे को खेत में नहीं लगाए तो बॉर्डर पर भी लगा सकते हैं ये एक साल में 10 से 15 फीट तक बड़ सकता हैमहोगनी की लकड़ी मजबूत और काफी लंबे समय तक उपयोग में लाई जाने वाली लकड़ी होती है. यह लकड़ी लाल और भूरे रंग की होती है. इस पर पानी के नुकसान का कोई असर नहीं होता है. अगर वैज्ञानिकों के तर्कों की बात करें तो यह पेड़ 50 डिग्री सेल्सियस तक ही तापमान को सहने की क्षमता को बदार्शत कर सकता है और जल न भी हो तब भी यह लगातार बढ़ता ही जाता है. इसके पौधे सीधे कतार में और सूर्य की रोशनी के विपरीत लगाने चाहिए. बाद में आसपास सब्जियां और फलों आदि की भी उपज ली जा सकती है. इसके पौधे सीधे कतार में और सूर्य की रोशनी के विपरीत लगाने चाहिए. बाद में आसपास सब्जियां और फलों आदि की भी उपज ली जा सकती है. Not:(1) home delivery service (2) Replacement service (3)One years free services and guidelines with senior Executive