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Tum chandani main andhera

by Anurag Gupta, 13 Mar 2025

तुम सांझ की लाली, मैं भोर का धुंधलापन,
तुम मीठी धुन, मैं टूटा सा आलाप हूँ।
तुम फूलों की ख़ुशबू, मैं बेजान सी मिट्टी,
तुम रंगों की होली, मैं बस धुंधला सा ख्वाब हूँ।

तुम वो कविता, जो दिल को छू जाए,
मैं अधूरा सा शेर, जो अधर में रह जाए।
तुम सावन की ठंडी फुहारों जैसी,
मैं जून की लपट, जो सब कुछ जलाए।

तुम दिलों को जोड़ने वाली कहानी,
मैं भूला-बिसरा एक अफ़साना हूँ।
तुम ताज की नफासत, मीनारों की शान,
मैं टूटी हुई किसी चौखट का निशान हूँ।

तुम रौशनी हो, जो अंधेरों में राह दिखाए,
मैं वही अंधेरा, जो रौशनी से डर जाए।
तुम मीठे सपनों की नरम चादर हो,
और मैं रात की करवटों में उलझा फ़साना हूँ।

फिर भी, न जाने कैसे तेरा साथ मिला,
तू क्यूँ ठहरी, ये दिल समझ ना सका।
शायद रब की रहमत, या कोई भूल हुई,
वरना तेरी तरह बेमिसाल कहाँ मेरी कोई धुन हुई?